Reserve Bank of India एक सवेधानिक संस्था है जो मुद्रा मैनेजमेंट देखती है। RBI द्वारा ही नए नोटों को इशू किया जाता है उनका वितरण किया जाता है और पुराने कटे फ़टे नोटों को फिर से प्रिंट कराया जाता है। पूरे देश में मुद्रा वितरण प्रणाली Reserve Bank of India द्वारा संचालित की जाती है।
RBI भारत सरकार के निचे काम करता है लेकिन नए नोटों की छपाई का काम भारत सरकार और RBI दोनों देखते हैं। इसलिए Reserve Bank of India Got Authority of Currency Printing From 1934. आज इस लेख में करेंसी प्रिंटिंग से लेकर अन्य कई विषयो पर प्रकाश डाला गया है।
भारतीय करेंसी Legal tender क्या होता है।
Legal tender एक सिक्का या बैंकनोट होता है जो कोई न कोई ऋण या दायित्व के निर्वहन के लिए कानून मान्य होता है। भारतीय सरकार ने सिक्का अधिनियम 2011 के सेक्शन 6 तहत सिक्के इशू किये गए हैं। ये सिक्के भुगतान करने या खाते में जमा करने के लिए कानून मान्य होंगे लेकिन सिक्के का आकर क्षत विक्षत नहीं होना चाहिए और न ही वजन कम होना चाहिए।
भारतीय सिक्के का लीगल टेंडर
एक रूपये से कम का सिक्का टोटल एक हजार से अधिक की राशि के तौर पर वैध नहीं होगा। और ऐसे ही 50 पैसे से कम का सिक्का 10 रूपये से अधिक की राशि के तौर पर वैध नहीं होगा। इसका मतलब ये है की 50 पैसे के सिक्के एक हजार रूपये से ज्यादा की राशि के तौर पर नहीं जमा किये जायेंगे और 50 पैसे से कम के सिक्के 10 रूपये से अधिक की राशि के तौर पर जमा नहीं किये जायेंगे।
भारतीय बैंकनोट का लीगल टेंडर
Reserve Bank Of India के द्वारा वर्तमान में जारी किये गए बैंक नोट जैसे ₹2 , ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और ₹2000 लीगल टेंडर हैं और जब तक कोई भी नोट संचालन से वापिस नहीं लिया जाता तब तक लीगल टेंडर रहेंगे। ये नोट भारत के किसी भी स्थान पर वैध रहेंगे जिसकी RBI द्वारा अधिनियम 1934 की धरा 26 की उपधारा 2 के तहत गारंटी दी जाएगी। भारत सरकार द्वारा जारी किये गए ₹1 नोट भी लीगल टेंडर है जो कानूनी तौर पर वैध है।
भारतीय बैंक नोट और सिक्को की ढलाई – Reserve Bank of India Got Authority of Currency Printing From
भारतीय बैंक नोट चार करेंसी प्रेसों में प्रिंट होते हैं जिनमे से दो भारतीय सरकार के स्वामित्व में और दो RBI के स्वामित्व में हैं। पहले दो करेंसी प्रिंटेड प्रेस भारत कारपोरेशन जिसका नाम सिक्योरिटी मीटिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडियन लिमिटेड है , के द्वारा चलाये जाते हैं।

दुसरे दो करेंसी प्रिंटिंग प्रेस RBI की सहयोगी कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड द्वारा चलाये जाते हैं जिस पर Reserve Bank of India का पूर्ण स्वामित्व होता है।
भारत सरकार के स्वामित्व (SPMCIL ) द्वार चलाई जाने वाली करेंसी की एक प्रिंटिंग प्रेस नासिक में है और दूसरी देवास (मध्यप्रदेश )में है। RBI की सहयोगी कंपनी द्वारा चलाई जाने वाली करेंसी प्रिंटिंग प्रेस की एक साखा मैसूर में और दूसरी सालबोनी (पूर्वी भारत ) में है।
भारतीय करेंसी सिक्को की ढलाई स्थान और कंपनी
Reserve Bank of India की सहयोगी कंपनी (BRBNMPL ) के चार टकसाल हैं जहाँ पर सिक्को की ढलाई की जाती है। ये टक्साले मुंबई , हैदराबाद , कोलकाता और नॉएडा में स्थित हैं। सिक्को को प्रचलन में केवल RBI द्वारा ही किया जा सकता है।
बैंक नोटों और सिक्को का वितरण कैसे होता है।
Reserve Bank of India ने बैंक नोटों और सिक्को के वितरण के लिए कुछ बैंक साखाओ को अधिकृत किया है जिन्हे करेंसी चेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी करेंसी चेस्टों में बैंक नोटों और सिक्को को स्टॉक किया जाता है और फिर आस पास के बैंको में इसका वितरण किया जाता है। वर्तमान में ऐसे बैंक चेस्टों के संख्या भारत में 3367 है जहाँ पर करेंसी नोटों और सिक्को को स्टॉक किया जाता है और फिर उन्हें बैंको में वितरण किया जाता है।
Reserve Bank of India करेंसी मैनेजमेंट कैसे करता है।
Reserve Bank of India को भारत में बैंक नोट इशू करने का पूर्ण अधिकार है लेकिन बैंक नॉट को डिज़ाइन करने , उसका आकर सुनिचित करने और उसके कैसे मटेरियल का इस्तेमाल होगा , इसका पूर्ण अधिकार RBI के पास नहीं होता। हाँ , RBI के केंद्रीय बोर्ड द्वारा बैंक नोट के बारे में सिफारिशें देने का अधिकार है जिसे भारत सरकार द्वारा स्वीकार भी किया जा सकता है और इसे अप्रूव भी किया जा सकता है।
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करेंसी नॉट और सिक्को की आपूर्ति कैसे होती है।
RBI वित्तवर्ष में आवश्यक नोटों की मात्रा का पूर्वानुमान लगता है और भारत सरकार तथा मुख्य स्टेक होल्डर्स के साथ परामर्श करके जरूरतनुसार नोटों की आपूर्ति के लिए करेंसी प्रिंटिंग प्रेस को आर्डर करता है। जिसे करेंसी प्रिंटिंग प्रेस इन नोटों को छापती हैं।

RBI पर जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले नोट वितरण करने का दायित्व होता है जिसे वह पूरा करता है इसके आलावा मार्किट में वितरित नॉट की गुणवत्ता भी समय समय पर जांचता रहता है और जो नोट कटे फ़टे या ज्यादा पुराने हो जाते हैं उन्हें नष्ट करके उनकी जगह पर नए नोट जारी भी करता रहता है।
सिक्को के मामले में RBI के पास कम अधिकार होते हैं , सिक्को की ढलाई और वितरण का अधिकार भारत सरकार के पास होता है। सिक्कादीनियम 2011 के तहत सिक्को की ढलाई , डिजाइनिंग और उनके मूल्यों का पूर्ण दाइत्व भारत सरकार के पास होता है।
लोगो तक भारतीय करेंसी कैसे पहुँचती है।
देशभर में RBI 19 इशू ऑफिसेस हैं जैसे हमदाबाद में , बेंगलुरु में , बेलापुर में , भोपाल में , भुवनेश्वर में , चंडीगढ़ में , चेन्नई में , गुवाहाटी में , हैदराबाद में , जयपुर में , जम्मू में , कानपुर में , कोलकाता में , लखनऊ में , मुंबई में , नागपुर में और नई दिल्ली में। देश की चार करेंसी प्रिंटिंग प्रेस्सो से इन सभी इशू ऑफिसों में करेंसी पहुँचती है।

और फिर आस पास की सभी करेंसी चेस्टों में इन इशू ऑफिसों से मुद्रा पहुंचाई जाती है। करेंसी चेस्ट में 1 रूपये के सिक्के से लेकर ऊपर की सभी करेंसी पहुंचाई जाती है और फिर करेंसी चेस्ट से बैंक साखाओ में ये मुद्रा पहुंचाई जाती है। इस प्रकार से RBI मुद्राओ का वितरण करता है।
हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली के इशू ऑफिस सिक्का टकसालो से जुड़े होते हैं। यहाँ से ये सिक्के स्माल कॉइन डिपो में भेजे जाते हैं।
भारत की सबसे बड़ी मुद्रा क्या थी और ये कब छापी गई
भारत की सबसे बड़ी मुद्रा 10000 रूपये की थी जिसे 1938 में छपा गया था और फिर इसे 1946 में बंद किया गया था।

इसके बाद यह मुद्रा 1954 में फिर शुरू की गई और 1978 तक चली। इसके बाद 1978 में इस मुद्रा को बंद कर दिया गया था।
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